आज मैं केवल आयुर्वेदिक दवाओं की वजह से आज जीवित हूँ

नमस्कार, मेरा नाम अजीत सिंह चौरसिया है और मैं बिहार के मोतिहारी शहर का रहने वाला हूँ। मैं बीते कई सालों से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहा था जिसकी वजह से दो साल पहले मेरी किडनी खराब हो गई थी। जब मेरी किडनी खराब हुई तब डॉक्टर ने मुझे बताया कि मेरी किडनी डायलिसिस करवाने से बहुत जल्दी ठीक हो जायगी। मुझे भी लगा कि जब डायलिसिस करवाने से मेरी किडनी ठीक हो रही है तो मैं क्यों ही कोई दूसरा उपचार लूँ, लेकिन जब मैंने कई महीनों तक डायलिसिस करवाया तब मुझे पता चला कि मैं गलत था। क्योंकि कई महीनों तक डायलिसिस करवाने से मेरी तबियत में कोई सुधार तो आया नहीं उल्टा हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई कि बचने की कोई उम्मीद ही नज़र नहीं आ रही थी। मुझे तो लग ही नहीं रहा था कि मैं बच जाऊंगा लेकिन जब मैंने डॉ. पुनीत धवन से आयुर्वेदिक उपचार लिया तब कहीं जाकर मेरी तबियत में सुधार आने लगे और मेरी किडनी ठीक हो सकी।

मुझे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या मेरे खाने पीने की आदत की वजह से हुई थी और आगे चलकर इसी से मेरी किडनी भी खराब हो गई। मुझे बाहर का खाना इतना ज्यादा पसंद था कि इसकी वजह से मुझे अक्सर पेट से जुड़ी समस्या हो जाती थी और जिसकी वजह से मुझे हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ता था। एक बार बाहर का ज्यादा खाना खाने की वजह से मुझे पेट में एसिड बनने की समस्या हो गई थी, जिसके कारण मुझे काफी लंबे समय तक हॉस्पिटल में रहना पड़ा। हॉस्पिटल में मेरा पेट तो ठीक हो गया लेकिन मेरा ब्लड प्रेशर हाई रहने लग गया था। डॉक्टर ने मुझे बाहर का खाना खाने से इंकार दिया और ब्लड प्रेशर की दवाएं खाने की सलाह दी। मैंने डॉक्टर के कहे अनुसार दवाएं लेनी तो शुरू कर दी पर अपने खाने पीने में कोई बदलाव नहीं किया, जिसकी वजह से मेरा ब्लड प्रेशर अक्सर हाई ही रहता था। किडनी खराब होने से पहले मैं बीते करीब 15 साल से लगातार हाई ब्लड प्रेशर की दवाएं ले रहा था जिससे ब्लड प्रेशर तो काबू में नहीं आया पर मेरी किडनी जरूर खराब हो गई। किडनी खराब होने से करीब महिना भर पहले मुझे सबसे पहले पेशाब जुड़ी हुई समस्याएँ होने लगी थी जो कि देखने में बहुत सामान्य सी ही नज़र आ रही थी पर वो सभी एक बड़े खतरे की दस्तक थी। पेशाब से जुड़ी समस्याओं में मुझे पेशाब आना कम आने लगा, जब भी पेशाब आता तो जलन होने लगती और पेशाब का रंग लाल हो चूका था साथ ही पेशाब से काफी बदबू भी आने लगी थी।

Ayurvedic Kidney Failure Treatment Without Dialysis

इसके अलावा मेरे शरीर के कई हिस्सों में सूजन आ गई जिसकी वजह से मुझे चलने फिरने में परेशानी होने लगी। मुझे भूख लगना बंद हो गई और मुझे दिन में कई बार उल्टियाँ आने लग गई, इसके कारण मैं लगातार कमजोर होता जा रहा था। मेरी तबियत लगातार खराब होती जा रही थी जिसके कारण घर वालों ने मुझे हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया, जहाँ पर डॉक्टर ने जांच करने के बाद मुझे कई टेस्ट करवाने को कह दिया। मैंने उसी दिन सारे टेस्ट करवाए और रिपोर्ट्स आते ही उन्हें डॉक्टर को दिखाया। मेरी रिपोर्ट्स देखने के बाद डॉक्टर ने मुझे बताया कि ब्लड प्रेशर हाई रहने, बाहर का ज्यादा खाना खाने और ज्यादा दवाएं लेने के कारण मेरी किडनी खराब हो चुकी है और अब मुझे ठीक होने के लिए डायलिसिस करवाना होगा। डॉक्टर ने आगे बताया कि डायलिसिस ही अब एक ऐसा तरीका है जिससे मेरी खराब हुई किडनी को बड़े आराम से ठीक किया जा सकता है। मुझे डॉक्टर की बातों पर यकीन हो गया और मैंने दुसरे दिन से ही डायलिसिस करवाना शुरू कर दिया, जिससे मुझे काफी तकलीफ तो हुई पर मैंने उसे सहन कर लिया। मुझे उस समय पूरी उम्मीद थी कि मैं डायलिसिस करवाने से जल्द ही ठीक हो जाऊंगा पर ऐसा होता नज़र नही आ रहा था।

मैंने करीब 8 महीने तक हर हफ्ते दो बार डायलिसिस करवाया पर उससे मुझे कोई फायदा नहीं मिला उल्टा हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई कि डॉक्टर्स जवाब देने लगे। डॉक्टर्स का कहना था कि अब मुझे डायलिसिस छोड़ किडनी ट्रांसप्लांट करवा लेना चाहिए, नहीं तो मैं नहीं बच सकता। लेकिन मैं इससे होने दुष्प्रभावों के बारे में काफी जानता था, जिसके कारण मैंने इसके लिए इंकार कर दिया और आगे डायलिसिस पर जीने का मन बना लिया। इसी बीच एक दिन मेरा एक दोस्त मुझसे मिलने आया और उसने मुझे मुझे दिल्ली के कर्मा आयुर्वेदा हॉस्पिटल से आयुर्वेदिक उपचार लेने की सलाह दी। उसने मुझे बताया कि कर्मा आयुर्वेदा में बिना डायलिसिस के ही खराब हुई किडनी को ठीक किया जाता है। बस फिर क्या था मैं कुछ ही दिनों में कर्मा आयुर्वेदा हॉस्पिटल, दिल्ली पहुंचा और हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. पुनीत धवन से मिला। मैंने उनको अपनी सारी रिपोर्ट्स दिखाई, जिन्हें देखने के बाद डॉक्टर ने मुझसे कहा मैं आयुर्वेदिक दवाओं से जल्द ही ठीक हो जाऊंगा और मुझे किडनी ट्रांसप्लांट तो क्या बल्कि डायलिसिस करवाने की भी जरुरत नहीं है। डॉ. पुनीत धवन की ये बाते सुनकर मुझे एक उम्मीद जगी और मैंने घर आकर डॉक्टर साहब के कहे अनुसार दवाएं लेनी शुरू कर दी जिससे मुझे काफी आराम मिलने लगा और मैं कुछ ही महीनों में एक दम ठीक हो गया। अगर मैंने उस दिन अपने दोस्त की बात नहीं मानी होती तो शायद आज मैं जीवित नहीं होता।

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