बाहर का खाने की वजह से हुई किडनी खराब

नमस्कार, मेरा नाम मनीष पासवान है और मैं बिहार के गोपालगंज जिले का रहने वाला हूँ। मैंने कई सालों से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहा था जिसकी वजह से तीन साल पहले मेरी किडनी खराब हो गई थी। किडनी खराब हो जाने की वजह से मुझे कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ा था निकी वजह से मुझे डायलिसिस जैसे दर्दनाक उपचार का सहारा लेना पड़ा था। उस दौरान डॉक्टर का मुझसे कहना था कि डायलिसिस से ही मैं ठीक रह सकता हूँ अगर मैं इसे नहीं करवाना चाहता तो मुझे किडनी ट्रांसप्लांट करवाना होगा। लेकिन मैं किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बिलकुल भी राजी नहीं था, क्योंकि इसमें खर्चा लाखों में आने वाला था और दूसरा इसके सफल होने के चांस भी बहुत कम थे। पर आज मैं और मेरी किडनी एक दम स्वस्थ है और ये कैसे हुआ आज मैं आपको इसी के बारे में बताने वाला हूँ।

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मेरा ब्लड प्रेशर ज्यादा खाना खाने की वजह से हाई रहने लगा था जिसको काबू करने के लिए मैंने कभी ठीक से कोई प्रयास नहीं किया। मुझे बाहर का खाना इतना जायदा पसंद था कि मैं हर रोज ही बाहर से कुछ ना कुछ खाया करता था। बाहर के खाने में मुझे नॉन वेज खाना बहुत ज्यादा पसंद था। शुरुआत में तो मुझे इसे खाने से कोई समस्या नहीं हुई लेकिन समय के साथ मुझे इसे पचाने में समस्या आने लग गई जो कि बढती जा रही थी। समस्या इतनी ज्यादा बढ़ गई कि मुझे हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा और इसी के साथ मेरा ब्लड प्रेशर हाई रहने लग गया। हॉस्पिटल में एडमिट होने मेरा पेट तो ठीक हो गया लेकिन मेरा ब्लड प्रेशर हाई रहने लगा गया, जिसको काबू करने के लिए डॉक्टर ने मुझे डाइट में बदलाव करने की सलाह दी, जिसको शुरुआत में तो मैंने फॉलो किया लेकिन बाद में सब छोड़ दिया। जब मैंने अपनी डाइट में किये बदलाव बंद कर दिए तो मेरा ब्लड प्रेशर फिर से हाई रहने लगा जिसको अब काबू रखने के लिए मैं कभी-कभी दवाएं ले लेता था पर परहेज कोई नहीं करता था। मैं इस ओर काफी लापरवाह होता जा रहा था और इसी वजह से मेरी किडनी तेजी से खराब होती जा रही थी पर मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मुझे किडनी खराब होने की जानकारी उस समय लगी जब मेरी तबियत अचानक से खराब होने लगी और डॉक्टर ने मुझे जाँच करवाने के लिए कहा।

किडनी खराब होने के दौरान मुझे पेशाब आना काफी कम हो चूका था और पेशाब करते समय समय मुझे काफी जलन भी होने लगी थी, साथ ही पेशाब का रंग भी लाल होता जा रहा था। मुझे ठण्ड के साथ तेज बुखार रहने लगा था, जिसके कारण मुझे दिन में कई बार उल्टियाँ आने लगी थी। इस दौरान मुझे खाना खाने का बिलकुल भी दिल नहीं करता था, जिसकी वजह से मैं काफी कमजोर हो चूका था। इन्हीं दिनों मेरे पैरों में काफी सूजन भी आ चुकी थी जिसके कारण मुझे चलने फिरने में काफी परेशानी होने लगी थी। इन सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मैंने कई सारी दवाएं भी खाई, लेकिन इनसे मुझे रत्ती भर भी आराम नहीं मिला। फिर एक दिन मैं कमजोरी के कारण बेहोश हो गया तब घर वालों ने मुझे एक बार फिर हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया, जहाँ होश आने पर डॉक्टर ने मुझे कई टेस्ट करवाने को कहा, मैंने उसी समय सारे टेस्ट करवाए और रिपोर्ट्स डॉक्टर को दिखाई। जब डॉक्टर ने मेरी रिपोर्ट्स देखि तो उन्होंने मुझसे कहा कि मेरी किडनी खराब हो चुकी है इसी वजह से मुझे ये सभी समस्याएँ हो रही है। डॉक्टर ने मुझसे आगे कि अगर मैं अभी से डायलिसिस करवाना शुरू कर दूँ तो मैं जल्द ही ठीक हो जाऊंगा। मैंने डॉक्टर की बात मानी और कुछ दिनों बाद डायलिसिस करवाना शुरू कर दिया। जब मेरा पहला डायलिसिस हुआ तब उससे मुझे इतनी परेशानी हुई कि मैंने आगे डायलिसिस के लिए इंकार कर दिया।

लेकिन मेरे सामने दूसरा कोई चारा नहीं था जिसके कारण मुझे अगले 8 महीने तक डायलिसिस चालु रखना पड़ा। इतने लंबे समय तक डायलिसिस चालू रखने पर भी मुझे कोई फायदा तो मिला नहीं, उल्टा मेरी हालत इतनी ज्यादा खराब हो चुकी थी डॉक्टर अब मुझे किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के लिए कहने लगे। डॉक्टर्स ने कहा कि अगर मैंने अब डायलिसिस छोड़ किडनी ट्रांसप्लांट नहीं करवाया तो मेरे पास ज्यादा से ज्यादा दो महीने तक का ही समय बाकी है। डॉक्टर ने उस दौरान मुझसे कहा था कि अगर मैंने इस समय किडनी ट्रांसप्लांट नहीं करवाया तो मेरे बचने की कोई उम्मीद नहीं है। लेकिन मैं इससे होने दुष्प्रभावों के बारे में काफी जानता था, जिसके कारण मैंने इसके लिए इंकार कर दिया और आगे डायलिसिस पर जीने का मन बना लिया। फिर एक दिन मेरा एक दोस्त मुझसे मिलने आया और उसने मुझे मुझे दिल्ली के कर्मा आयुर्वेदा हॉस्पिटल से आयुर्वेदिक उपचार लेने की सलाह दी। उसने मुझे बताया कि कर्मा आयुर्वेदा में बिना डायलिसिस के ही खराब हुई किडनी को ठीक किया जाता है। बस फिर क्या था मैं कुछ ही दिनों में कर्मा आयुर्वेदा हॉस्पिटल, दिल्ली पहुंचा और डॉ. पुनीत धवन से मिला। मैंने उनको अपनी सारी रिपोर्ट्स दिखाई, जिन्हें देखने के बाद डॉक्टर ने मुझ से कहा मैं आयुर्वेदिक दवाओं से जल्द ही ठीक हो जाऊंगा। मैंने घर आकर डॉ. पुनीत धवन एक कहे अनुसार दवाएं लेनी शुरू कर दी जिससे मुझे काफी आराम मिलने लगा और मैं कुछ ही महीनों में एक दम ठीक हो गया। अगर मैंने उस दिन अपने दोस्त की बात नहीं मानी होती तो शायद आज मैं जीवित नहीं होता।

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